कालः शुभ क्रियायोग्यो मुहूर्त इति कथ्यते। -
अर्थात ऐसा काल या समय जो शुभ क्रियाओं अर्थात शुभ कार्यों के योग्य हो, मुहूर्त कहलाता है। इसी को हम शुभ मुहूर्त, उत्तम मुहूर्त अथवा शुभ समय भी कहते हैं।
ज्योतिष के द्वारा काल ज्ञान होता है और प्राचीन काल से सभी शुभ कार्यों के लिए हमारे महान ऋषियों ने शुभ समय का विचार किया। समय सबसे शक्तिशाली माना जाता है क्योंकि इसका प्रभाव सभी पदार्थों पर पड़ता है चाहे वह जड़ हो अथवा चेतन, इसलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने व्यक्ति के गर्भ से मृत्यु उपरांत 16 संस्कारों तथा अन्य सभी मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त ज्ञान को आवश्यक बताया है।
मुहूर्त शास्त्र फलित ज्योतिष का ही एक अंग है। इसकी सहायता से हिंदू धर्म के अंतर्गत किसी व्यक्ति के जीवन में होने वाले सोलह संस्कारों जैसे कि गर्भाधान, पुंसवन, सीमंतोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, अन्नप्राशन, मुंडन अथवा चूड़ाकरण, उपनयन, समावर्तन, विवाह आदि के लिए शुभ समय का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त किसी भी अन्य शुभ कार्य को करने के लिए जैसे कि यात्रा के लिए, नया मकान बनाने और उस की नींव रखने के लिए, गृह प्रवेश के लिए, नया वाहन अथवा प्रॉपर्टी खरीदने के लिए, नया व्यापार शुरू करने के लिए, मुकदमा दाखिल करने के लिए, नौकरी के आवेदन के लिए आदि शुभ कार्यों के लिए शुभ समय ज्ञात करने के लिए मुहूर्त का उपयोग किया जाता है।